प्रिय अभिजीत
हम सब यहाँ कुशल है, तुम्हारी कुशलता की कामना करते है| कल तुम्हारे हॉस्टल के वार्डन महोदय का पत्र प्राप्त हुआ| ये शिकायती पत्र तो नहीं था पर उन्होंने इंगित किया कि आजकल तुम अपनी पढाई के प्रति कुछ लापरवाह होते जा रहे हो| विद्यालय समय पर नही जाते| अपना अध्ययन समुचित रूप से नहीं करते| अर्धवार्षिक परीक्षा में तुम्हारे प्राप्तांक भी कम ही है| पापा-माँ इस बात से बहुत चिंतित हो गए है| हमने तुम्हे हॉस्टल भेजा ताकि तुम बिना व्यवधान के दत्तचित्त होकर अध्ययन कर सको पर हमारा निर्णय गलत प्रतीत हो रहा है| बड़ी बहन होने के नाते मैं तुम्हे कुछ हिदायतें दे रही हूँ जिनका पालन करके तुम पुन: अच्छे प्राप्तांक ला सकते हो| सर्वप्रथम नियमित सभी कक्षाओ में उपस्थित रहो| अपना पाठ नियमित याद करो| विद्यालय के शिक्षक के पढाने का तरीका समझ न आये तो ट्यूशन कर लो| गृहकार्य पूर्ण रखो| होशियार विद्यार्थियों से मित्रता रखो और उनसे अध्ययन में मदद लो| योगासन द्वारा स्वयम को स्वस्थ व आशावादी बनाओ| पुस्कालय से अतिरिक्त पुस्तके लेकर नोट्स बनाओ| समय-समय पर मूल्यांकन करते रहो कि तुम्हें पाठ उचित रूप से समझ में आ रहे है या नही| नियमित दोहरान करो| समय-सारिणी के अनुसार दिनचर्या का पालन करो| आशा है तुम अपना कर्तव्य समझ गए हो और उसका पालन भी करोगे| मुझे विश्वास है तुम्हें सफलता मिलेगी|
शेष कुशल
तुम्हारी दीदी
kusha
It says.... Explain the meaning of this line of the poem 'Shoes torn, out of which the soul of the peeping villages'.
The answer to the question is A Lost Penny.