मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे किसी न किसी साथी कि आवश्यकता जरुर होती है परन्तु यह संगति ही उसके व्यक्तित्व निर्माण को प्रभावित करती है I
सत्संगति का महत्त्व : संगति का प्रभाव मनुष्य पर जरुर पड़ता है I जिस प्रकार स्वाति कि बूँद सीप के सम्पर्क में आने पर मोती, और सर्प के सम्पर्क में आने पर विष बन जाती है उसी प्रकार सत्संगति में रहकर मनुष्य का आत्मसंस्कार होता है जबकि बुरी संगति उसके पतन का कारण बनती है I अच्छी संगति में रहकर मनुष्य का चारित्रिक विकास होता है, उसकी बुद्धि परिष्कृत होती है और उसका मन शुद्ध होता है I बुरी संगति हमारे भीतर के दानव को जागृत करती है I
शुक्ल जी ने ठीक कहा है- ‘कुसंग का ज्वर बड़ा भयानक होता है’ I दुर्जन का साथ पग-पग पर हानि देता है, अपमान और अपयश देता है I हमें प्रयास करके सज्जनों का साथ प्राप्त करना चाहिए क्योंकि ‘शठ सुधरहिं सत्संगति पाये’ I अंगुलिमाल, वाल्मीकि जी जैसे अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं I विशेष रूप से विद्यार्थियों को सत्संगति का महत्त्व समझना चाहिए क्योंकि वे अपरिपक्व अवस्था में होते हैं और कच्ची मिटटी के समान उन्हें किसी भी रूप में ढाला जा सकता है I
proverbial were those who established norms of conduct and principles of life reaching throughout history to be unwritten laws. elaborate and present a decalogue of Romanian proverbs and sayings for your colleagues.