Answer:
<h2>इन पंक्तियों का भाव है कि प्रत्येक मनुष्य को प्रत्येक मनुष्य के जीवन में समय-असमय आने वाले हर दुख-दर्द में सहानुभूति होनी चाहिए, क्योंकि एक-दूसरे के दुख-दर्द का बोझ सहानुभूति की प्रवृत्ति होने से कम हो जाता है। वास्तव में सहानुभूति दर्शाने का गुण महान पूँजी है। पृथ्वी भी सदा से अपनी सहानुभूति तथा दया के कारण वशीकृता ।</h2>
Explanation:
<h2>मानवता के ये लोग प्रति-मूर्ति माने - सहानुभूति मानव जाति की विशेष संपत्ति है जो महा विभूति के रूप में परिमार्जित है। यह भाव सब जीव राशियों में बना है जिसे प्रकट करने का तरीका मानव खूब जानता है। अत: हमारा ध्येय हितार्थ एवं परमार्थ होकर जीना चाहिए। मानव मानवता के साथ भरपूर रहे तो उसका सारी दुनिया में नाम रहेगा।महान विभूति का अर्थ होता है, बहुत बड़ा धन। महाविभूति का संबंध बड़ी पूंजी से है, एक बड़ी भारी पूंजी का तात्पर्य महाविभूति से होता है। 'मनुष्यता' कविता में कवि ने अपनी कविता में इसी संदर्भ में इसका प्रयोग किया है।</h2>
Answer:
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