Answer:
जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
इसका स्थायी भाव उत्साह होता है ।
वीर रस के चार प्रकार हैं -
युद्धवीर, दानवीर, दयावीर और धर्मवीर
उदाहरण-
सामने टिकते नहीं वनराज, पर्वत डोलते हैं,
कौतता है कुण्डली मारे समय का व्याल
मेरी बाँह में मारुत, गरुण, गजराज का बल है
Explanation:
उम्मीद है की यह मदद करेगा